यह भारतवर्ष हमारा
1. हिन्दी कविता ( यह भारतवर्ष हमारा ) :-
इसी गाँव में आग लगी थी बही खून की धारा
यह भारतवर्ष हमारा ||
एक - एक कण धरती का खूनों से लाल हुआ
मर मिटने को यहाँ पिता से आगे लाल हुआ
चीख उठी थी धरा और नीले नभ ने ललकारा
यह भारतवर्ष हमारा ||
एक सूत्र में बँधा रहा यह युगों - युगों से देश
भोलेपन को सह न सके धरती के निर्धन देश
लगे लूटने स्वर्ग हमारा हमने यही पुकारा
यह भारतवर्ष हमारा ||
इसी बाग के फूलों ने सौगन्ध सुरभि की खायी
विह्वल जीवन की गंगा - यमुना ने ली अंगड़ायी
वही हिमालय के तन से फिर फूट - फूट रस धारा
यह भारतवर्ष हमारा ||
कभी नहीं की हिंसा हमने कभी धर्म न छोड़ा
भारत माता की पीड़ा की जंजीरों को तोड़ा
पोंछे आँखों के आँसू , हम पिये विषम विष खारा
यह भारतवर्ष हमारा ||
2. हिन्दी कविता ( अरे ! दुनिया वालों ) :-
अरे ! दुनिया वालों इधर मुड़ के देखो
मनुजता की सारी कहानी यहीं है
यहीं से निकलती है , सूरज की किरणें
औ , चन्दा की शीतल रवानी यहीं है |
यहीं राम और कृष्ण हैं विश्व मानक
यहीं गाँधी , गौतम यहीं चिश्ती , नानक
यहीं सूर , तुलसी , कबीरा की टोली
औ , मीरा दरद की दीवानी यहीं है |
यहीं शान्ति का प्यारा सम्राट सोया
यहीं केसरी वीरता वन में खोया
समर में लगाम अपने दाँतो से थामे
न भूलो कि झाँसी की रानी यहीं है |
हमें आजमाने की हिम्मत न करना
औ , आँखें दिखाने की कोशिश न करना
यहाँ का हर एक बच्चा आजाद , बिस्मिल
बोस , औ भगत की जवानी यहीं है |
हमें देश प्यारा है जाति - धरम से
नहीं टूटने वाले हैं हम भरम से
यहाँ का हर एक फूल ' कोमल ' सितारा
औ , धरती का भी रंग धानी यहीं है |
रचनाकार :- कोमल शास्त्री
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🙏
75 वे स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ।।
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