मरकहा बैल हउदी पै झनका

मरकहा बैल हउदी पै झनका















1.   अवधी गजल   (   मरकहा बैल हउदी पै झनका  ) :-



जेकाँ देखा उहै बाय सनका

मोट केव ना सबै बा महिनका |


देखि के हर , सइल औ जुआठा

मरकहा बैल हउदी पै झनका |


आँखि ह्वइगै टिकोरा - टिकोरा

राति कँगना ओसारे में खनका |


राति भै दर्द सोवा मजे से

भोर होतै कपारे पै हनका |


भोर से साँझ ले राम धुन में

एक जोगी अकासे में ढनका |


फूल ' कोमल ' खिला जौ नजर मा

कौनो भौंरा करेजे में मनका |




2. अवधी गजल ( दीया जेकै गगन मा बरे ) :-


दीया जेकै गगन मा बरे

होये सबही वही के तरे |


नेतागीरी अकासे चढ़ी

नौकरी बा पहुँच के परे |


हमकाँ अन्हियार बाँटे मिला

और उजियार वनके बरे |


एक मन जाये कोठा कइउ

काव लइके तू जाब्या घरे |


झाड़ झाँखर क गिनि - गिनि लस्या

आम बोला कहाँ से फरे |


लेखनी जबसे ' कोमल ' लिहे

खून कै रोसनाई भरे |




रचनाकार :- कोमल शास्त्री




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